क्यों घोड़े की नाल बदल सकती है आपकी किस्मत का हाल

शनि देव को न्याय का देवता माना गया है, लेकिन कभी-कभी शनि की कुदृष्टि इंसानी जीवन को और जटिल बना देती है। यही वजह है कि लगभग सभी लोग शनि की साढ़ेसाती और उसकी ढैया से भयभीत रहते हैं। शनि देव को प्रसन्न कर, उनकी कृपा प्राप्त करने का उपाय भी ज्योतिष शास्त्र में मौजूद …

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गुप्त नवरात्रि

हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। गुप्त नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली माना जाता है। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती …

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मौनी अमावस्या के दिन करें ये उपाय

माघ कृष्ण अमावस्या यानी मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। …

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प्रणाम

अभिवादन (प्रणाम) सदाचार का मुख्य अंग है, उत्तम गुण है। इसमें नम्रता, आदर, श्रद्धा, सेवा एवं शरणागति का भाव अनुस्यूत रहता है। बड़े आदर के साथ श्रेष्ठजनों को प्रणाम करना चाहिए। मनु महाराज ने कहा है, ‘वृद्ध लोगों के आने पर युवा पुरुष के प्राण ऊपर चढ़ते हैं और जब वह उठकर प्रणाम करता है …

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मंत्र जप कैसे करें

मंत्र जप का मूल भाव होता है- मनन। जिस देव का मंत्र है उस देव के मनन के लिए सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए है। शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है। माना जाता …

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भाग्यवर्द्धक रत्न मोती

यह रत्न चंद्र ग्रह का रत्न है। इसे चंद्र ग्रह की अनुकूलता के लिए धारण किया जाता है। इस रत्न को विशेष रूप से कर्क राशि, कर्क लग्न वाले व्यक्ति तथा इसके अतिरिक्त हि, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो नाम अक्षर वाले व्यक्ति भी धारण करते हैं। इसे धारण करने से मानसिक …

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भाग्यवर्द्धक रत्न माणिक

यह रत्न सूर्य ग्रह का रत्न माना जाता है। सूर्य ग्रह की अनुकूलता के लिए इसे धारण किया जाता है। इस रत्न को विषेष रूप से सिंह लग्न एवं सिंह राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मा, मी, मू मे, मो, टा, टी, टू, टे नाम अक्षर वाले व्यक्ति भी पहन सकते …

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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य

भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं। यह भचक्र की पांचवीं राशि सिंह का स्वामी है। सूर्य का अयन ६ माह का होता है। ६ माह यह दक्षिणायन यानी भूमध्य रेखा के दक्षिण में मकर वृत पर रहता है, और ६ माह …

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कल्पवास

कल्पवास वेदकालीन अरण्य संस्कृति की देन है। कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना। प्रयाग के कुम्भ मेले में कल्पवास का अत्यधिक महत्व है। यह माघ के माह में और अधिक महत्व रखता है और यह पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन …

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The Vedas and The Upanishads

Around 2000 B.C., scholars believe, groups of Indo-Europeanspeaking peoples calling themselves arya, or noble, began to enter the Indian subcontinent through the Hindu Kush. There, in the Indus river valley, they found a civilization already a thousand years old, thriving and advanced in technology and trade. From the fusion of these two cultures, the Aryan …

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