भाग्यवर्द्धक रत्न मोती

यह रत्न चंद्र ग्रह का रत्न है। इसे चंद्र ग्रह की अनुकूलता के लिए धारण किया जाता है। इस रत्न को विशेष रूप से कर्क राशि, कर्क लग्न वाले व्यक्ति तथा इसके अतिरिक्त हि, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो नाम अक्षर वाले व्यक्ति भी धारण करते हैं। इसे धारण करने से मानसिक शांति, स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, प्रेम वृद्धि होती है। उसे कनिष्ठिका उंगली में अथवा गले में लॉकेट बनाकर धारण कर सकते हैं। उसे सोमवार के दिन चंद्र की होरा में धारण करना चाहिए।

उपरत्न 

दूधिया हकीक, सफेद मूंगा, चन्द्रकांत मणि, सफेद पुखराज।मोती को भाषाभेद के अनुसार अनेक नामों से सम्बोधित किया जाता है। यथा, संस्कृत में मुक्ता, मौक्तिक, शुक्तिज, इन्द्र-रत्न, हिंन्दी पंजाबी में मोती अँग्रेजी में पर्ल तथा उर्दू फारसी में मुखारीद कहा जाता है।मोती को पहनने से बल, बुद्धि, ज्ञान एवं सौन्दर्य में वृद्धि होती है। तथा धन, यष सम्मान एवं सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। मन शांत रहता है। मोती धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, गठिया, अस्तमा इत्यादि बीमारियों से बचाव होता है। मोती गर्म स्वभाव वाले व्यक्तियों के लिए अच्छा माना जाता है। इसको धारण करने से गुस्सा शांत रहता है। मोतियों की माला लड़कियों का आत्मविष्वास तथा सुन्दरता को बढ़ाती है। पुत्री की शादी में मोतियों की माला देना बहुत ही शुभ माना जाता है। मोती में लगभग 90 प्रतिषत चूना होता है। इसलिए कैल्षियम की कमी के कारण उत्पन्न रोग में मोती चमत्कारी ढ़ग से फायदा पहुंचाता है।