भाग्यवर्द्धक रत्न माणिक

यह रत्न सूर्य ग्रह का रत्न माना जाता है। सूर्य ग्रह की अनुकूलता के लिए इसे धारण किया जाता है। इस रत्न को विषेष रूप से सिंह लग्न एवं सिंह राशि वाले व्यक्ति धारण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मा, मी, मू मे, मो, टा, टी, टू, टे नाम अक्षर वाले व्यक्ति भी पहन सकते हैं। इसको धारण करने से भाग्योन्नति पराक्रम, यश, शारीरिक बल बुद्धि, राजकीय कार्यों में सफलता प्रदान करता है। इस रत्न को अनामिका उंगली में अथवा गले में लॉकेट बनाकर धारण किया जा सकता है। रविवार के दिन सूर्य की होरा में इसे धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

उपरत्न

स्टार माणिक, रतवा हकीक, तामड़ा लाल तुरमली।भगवान सूर्य को ग्रहराज कहा जाता है इन्हीं के प्रताप से मानव जीवन का विकास होता है कुण्डली में सूर्य की क्षीण स्थिति को शक्तिपूर्ण बनाने के लिए सूर्यरत्न माणिक्य धारण के लिए परामर्श दिया जाता है। माणिक्य एक अत्यधिक मूल्यवान तथा शोभायुक्त रत्न है। माणिक्य को स्थान भेद के अनुसार अनेक नामों से पुकारा जाता है। माणिक्य के सबसे अधिक नाम संस्कृत भाषा में मिलते हैं। संस्कृत में इसे कुरविन्द, पदुमराग, वसुरत्न, लोहित, माणिक्य, शोणरत्न, रविरत्न शोणोपल आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। हिन्दी में चुन्नी, माणिक, बंगला में माणिक्य, मराठी में माणिक, तेलगू में माणिक्य फारसी में याकूत, अरबी में लाल बदख्शाँ तथा अंग्रेजी में रुबी नाम से पुकारा जाता है। माणिक एक खनित रत्न है। माणिक की खाने बर्मा, श्रीलंका, काबुल, हिमालय पर्वत कष्मीर मे पायी जाती है। अपनी रासायनिक संरचना के रुप में माणिक्य एल्युमीनियम आक्साइड का रुप होता है। यह पारदर्षी तथा अपारदर्षी दोनों तरह का होता है। माणिक सूर्य ग्रह का रत्न है। अंतः माणिक को धारण करने से सूर्य ग्रह से संबंधित समस्त दोष दूर हो जाते है। सिंह राषि वालों के लिए माणिक पहनना अति शुभ माना जाता है। जन्म कुण्डली में जिन व्यक्तियों का सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में हो उन्हें माणिक अवश्य पहनना चाहिए। माणिक धारण करने से यष, कीर्ति, धन, सम्पति, सुख-षांति प्राप्त होती है। यह वंष वृद्धिकारक भी माना जाता है। इसके प्रयोग से भय, व्याधि, सुख, क्लेष, चिन्ता आदि का नाष होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में स्थिरता ना हो तथा कोई काम निष्चित ना हो यह उनके जीवन की अनिष्चिताओं को दूर कर उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में ठहराव आता है। कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा होती है।