शनिश्चरी अमावस्या

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की उदया तिथि अमावस्या और दिन शनिवार है। अमावस्या तिथि 13 मार्च को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। उसके बाद फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। शास्त्रों में शनिश्चरी अमावस्या का बड़ा ही महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा का विशेष रूप से महत्व है। कहते हैं आज के दिन शनिदेव की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है।

Shani Amavasya 2021: इस दिन मनाई जाएगी शनि अमावस्या, बाधाओं से बचने के लिए  करें ये उपाय - Prime News

13 मार्च 2021 को अमावस्या का दिन कुंभ राशि वालों के लिए बेहद खास माना जा रहा है. इस दिन शनि की राशि कुंभ में चतुर्ग्रही योग बन रहा है. इस दिन सूर्य, चंद्र, बुध, और शुक्र चारों ग्रह एक ही राशि में होंगे. शनि कुंभ राशि के स्वामी होते हैं. कुंभ राशि के जातकों पर इस समय साढ़े साती भी चल रही है. ऐसे में वे शनि के विशेष उपाय करके शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं और साढ़ेसाती से मुक्ति पा सकते हैं.

अमावस्या से जुड़े रोचक तथ्य

1. शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है. इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का विशेष महत्व है.

2. अमावस्या पर तीर्थ स्नान, जाप और व्रत करने से ऋण और सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

3. ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है. अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता. ऐसे में मन में नकारात्मक विचार बढ़ते हैं. जो लोग अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है.

4. अमा नाम की चंद्र की एक महाकला है, जिसमें चंद्र की सोलह कलाओं की शक्तियां शामिल हैं. इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है.

5. जो लोग अमावस्या पर व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें इस दिन सिर्फ दूध का सेवन करना चाहिए. आमतौर पर ये व्रत एक वर्ष तक किया जाता है.

फाल्गुन अमावस्या मुहूर्त- 
मार्च 12, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरम्भ
मार्च 13, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त

शनि अमावस्या के दिन करें ये 7 उपाय

  1. इस दिन पीपल वृक्ष की परिक्रमा करें तथा प्रात:काल मीठा दूध वृक्ष की जड़ में चढ़ाएं एवं शाम को पश्चिम की ओर बत्ती कर तेल का दीपक जलाएं. ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करें.
  2. काली गाय, जिस पर अन्य किसी प्रकार का कोई निशान न हो का पूजन कर 8 बूंदी के लड्डू खिलाकर उसकी परिक्रमा करें तथा उसकी पूंछ से अपने सिर को 8 बार झाड़ दें.
  3. काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं.
  4. कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करें.
  5. काला सूरमा सुनसान स्थान में हाथभर गड्ढा खोदकर गाड़ दें.
  6. काले घोड़े की नाल या नाव की कील का छल्ला बीच की अंगुली में धारण करें.
  7. काले घोड़े की नाल अपने घर के दरवाजे के ऊपर स्थापित करें.